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"आँखों की नमी / भुवनेश्वर" के अवतरणों में अंतर
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14:54, 9 अक्टूबर 2011 के समय का अवतरण
आँखों की नमी एक अजीब अफ़वाह फैलाती है
पिघलते हुए दिल की
और पसीजती रोटी की...
पत्थर में एक हीरा जनप्रिय कहानी है
और पत्थर दिल में से
उपजती पसीजती नम आँखों वाली रोटी की...
ग़रीबी का मूसल मौसम का मौसम है ?
और सहनशीलता की शान्ति
नई सुबह की शुरूआत
अँग्रेज़ी से अनुवाद : रमेश बक्षी