भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"आं आखरां नै संभाळ’र देख तूं / सांवर दइया" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=सांवर दइया |संग्रह=आ सदी मिजळी मरै /...' के साथ नया पन्ना बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

03:56, 12 अक्टूबर 2011 के समय का अवतरण

आं आखरां नै संभाळ’र देख तूं
ऐ सवाल सामां उछाल’र देख तूं

आ गयां पछै लारै रैसी कांईं
पीड़ अमोलक, पीड़ पाळ’र देख तूं

मुळकती सांस रो भेद समझ आसी
सांस खातर सांस गाळ’र देख तूं

राख देख’र उदास ना हो भायला
फूंक मार खीरा उजाळ’र देख तूं

बिना कैयां आखो जग जाण जासी
म्हैं आंसू म्हांनै निकाळ’र देख तूं