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(इस प्रेम की अविरल धारा में) |
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इस प्रेम की अविरल धारा में , सांसों का क्रम बढ जाता है | इस प्रेम की अविरल धारा में , सांसों का क्रम बढ जाता है | ||
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जब बात जुबा पर आती है , दिल में सैलाब सा आता है | जब बात जुबा पर आती है , दिल में सैलाब सा आता है | ||
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जब कहने को कुछ करता मन, होंठों पर के शब्द खो जाते है | जब कहने को कुछ करता मन, होंठों पर के शब्द खो जाते है | ||
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इस बंद जुबा के अनकहे लफ्ज , बिन सुने ही समझे जाते है | इस बंद जुबा के अनकहे लफ्ज , बिन सुने ही समझे जाते है | ||
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शब्दों का अथाह सागर हृदय में है ,बोलने को भी मन करता है | शब्दों का अथाह सागर हृदय में है ,बोलने को भी मन करता है | ||
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पर ये जुबा बंद हो जाती है , जब प्रेम अधिक हो जाता है | पर ये जुबा बंद हो जाती है , जब प्रेम अधिक हो जाता है | ||
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जब प्रेम अधिक हो जाता है , सांसो में कोई घुल जाता है | जब प्रेम अधिक हो जाता है , सांसो में कोई घुल जाता है | ||
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तब हृदय का निश्छल प्रेम , बरबस ही आखों से बह जाता है | तब हृदय का निश्छल प्रेम , बरबस ही आखों से बह जाता है |
09:14, 14 अक्टूबर 2011 के समय का अवतरण
इस प्रेम की अविरल धारा में , सांसों का क्रम बढ जाता है
जब बात जुबा पर आती है , दिल में सैलाब सा आता है
जब कहने को कुछ करता मन, होंठों पर के शब्द खो जाते है
इस बंद जुबा के अनकहे लफ्ज , बिन सुने ही समझे जाते है
शब्दों का अथाह सागर हृदय में है ,बोलने को भी मन करता है
पर ये जुबा बंद हो जाती है , जब प्रेम अधिक हो जाता है
जब प्रेम अधिक हो जाता है , सांसो में कोई घुल जाता है
तब हृदय का निश्छल प्रेम , बरबस ही आखों से बह जाता है