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06:20, 16 अक्टूबर 2011 के समय का अवतरण

थोड़ी-सी-क हवा लागी है
बिंयां आदमी औ सागी है

बारूं मास भुवाजी रैवै
आदमी असल बडभागी है

बकार्‌यां गळै पड़ जावैला
मनस्यावां साव नागी है

कोरैपण री बातां बिरथा
चादर ठौड़-ठौड़ दागी है

आं पुड़तां नै धारै कोनी
बीज जलमजात बागी है