भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"बीं नगरी-गांव कूच कर बाबा / सांवर दइया" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=सांवर दइया |संग्रह=आ सदी मिजळी मरै /...' के साथ नया पन्ना बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

15:24, 16 अक्टूबर 2011 के समय का अवतरण

बीं नगरी-गांव कूच कर बाबा
जठै नीं हुवै कोई डर बाबा

धमाकै सागै घायल हुवै चिड़ी
कोई जतन-जापतो कर बाबा

ऐ कैवै- जबान अडाणै धरो
जीवता थकां जावां मर बाबा

आगीवाण हुया खुद धाड़ेती
हुवैला अबै किंयां बसर बाबा

ना हरख ना तिंवार अठै कोई
औ है कैड़ो-कांई घर बाबा