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"भींतां बिच्चै बीमार है आदमी / सांवर दइया" के अवतरणों में अंतर

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भींतां बिच्चै बीमार है आदमी
घर थकां घर सूं फरार है आदमी

नुंवै गाभां सूं ओप आवै किंयां
मांय सूं तो तार-तार है आदमी

गळो टुंपीजै पण मुळक बतळावै
ईं राज रो ऐलकार है आदमी

बस दो घड़ी गौर सूं देख बांच लो
रोजीना रो अखबार है आदमी

घराळा छोड जग ढूकै आंगणै
देखो कित्तो दिलदार है आदमी