भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"मत कर गीतां रो मोल भायला / सांवर दइया" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=सांवर दइया |संग्रह=आ सदी मिजळी मरै /...' के साथ नया पन्ना बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

20:18, 16 अक्टूबर 2011 के समय का अवतरण

मत कर गीतां रो मोल भायला
पीड़ रा मोती अमोल भयला

उजास उडीकै हवा बुलावै
बंद पड़ी बारी खोल भयला

हरफ अमूजै होठां में तो सुण
तोड़ मून मीठो बोल भयला

औ प्रीत-धागो बंधै एक बार
गांव-गळी-घर मत डोल भायला

औ आभो देख पछै पंख देख
थारी ताकत तूं तोल भायला