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काल अर आज रै बिच्चै

रचनाकार | सांवर दइया |
---|---|
प्रकाशक | धरती प्रकाशन, बीकानेर |
वर्ष | जुलाई, 1977 |
भाषा | राजस्थानी |
विषय | कविता |
विधा | मुक्त छंद |
पृष्ठ | 80 |
ISBN | |
विविध | काव्य, द्वितीय संस्करण 1982 |
इस पन्ने पर दी गई रचनाओं को विश्व भर के स्वयंसेवी योगदानकर्ताओं ने भिन्न-भिन्न स्रोतों का प्रयोग कर कविता कोश में संकलित किया है। ऊपर दी गई प्रकाशक संबंधी जानकारी छपी हुई पुस्तक खरीदने हेतु आपकी सहायता के लिये दी गई है।
- काल अर आज रै बिच्चै (शीर्षक कविता) / सांवर दइया
- हुनर / सांवर दइया
- सिलसिलो / सांवर दइया
- कांईं आपां / सांवर दइया
- मुन-पुत्र रो हेलो / सांवर दइया
- भोर री ललासी में / सांवर दइया
- मूंगोछम / सांवर दइया
- तटस्थ लोगां रै देस में / सांवर दइया
- भासा में गुणा-भाग / सांवर दइया
- मिनख वास्तै / सांवर दइया
- थे कांईं लेवोला / सांवर दइया
- आदमी सूं सीखो / सांवर दइया
- जुगां रा जुग बीत्या / सांवर दइया
- कांईं देखूं / सांवर दइया
- कोयलो इत्तो काळो कोनी हुवै / सांवर दइया
- कुण अडाणै राखै / सांवर दइया
- चळू भर हेत / सांवर दइया
- कूकड़-कथा / सांवर दइया
- आपां कीं करां / सांवर दइया
- जागती मसाल / सांवर दइया
- आखी रात / सांवर दइया
- अरे ओ स्याणा / सांवर दइया
- अगन कथा / सांवर दइया