भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"आखर री औकात, पृष्ठ- 9 / सांवर दइया" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Neeraj Daiya (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=सांवर दइया |संग्रह=आखर री औकात / सां...' के साथ नया पन्ना बनाया) |
(कोई अंतर नहीं)
|
21:31, 18 अक्टूबर 2011 के समय का अवतरण
आयै बरस
रेत में रळ जावै
अमी रो टोपो
०००
रोजीना पाटै
उमर-डायरी सूं
सांस रो पानो
०००
थे बांचो पोथा
म्हारै नांव कर द्यो
ढाई आखर
०००
तावड़ो आछो
म्हांरै पगां तो पड़्या
छींया में छाला
०००
बिरखा पछै
कोडै बांधै टाबर
रेत रा घर
०००