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जिन पर चलें हम | जिन पर चलें हम | ||
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तमाम दिन सिर और सीना ताने, | तमाम दिन सिर और सीना ताने, | ||
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भूमि का दायित्व | भूमि का दायित्व | ||
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और हम | और हम | ||
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स्वप्न की देख-रेख में | स्वप्न की देख-रेख में | ||
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जी-जान से पता लगाने | जी-जान से पता लगाने | ||
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12:26, 19 अक्टूबर 2011 के समय का अवतरण
सूर्यास्त मे समा गयीं
सूर्योदय की सड़कें,
जिन पर चलें हम
तमाम दिन सिर और सीना ताने,
महाकाश को भी वशवर्ती बनाने,
भूमि का दायित्व
उत्क्रांति से निभाने,
और हम
अब रात मे समा गये,
स्वप्न की देख-रेख में
सुबह की खोयी सड़कों का
जी-जान से पता लगाने