भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"आखर री औकात, पृष्ठ- 53 / सांवर दइया" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Neeraj Daiya (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=सांवर दइया |संग्रह=आखर री औकात / सां...' के साथ नया पन्ना बनाया) |
(कोई अंतर नहीं)
|
18:07, 23 अक्टूबर 2011 के समय का अवतरण
रात कचेड़ी
अंधारो लिखै नित
सूरज (नै) फांसी
०००
रात अंधारी
निकळैला सूरज
उदास ना व्है
०००
तूं देख, सुण
रूं-रूं कांपैला बांरा
बोल तो सरी
०००
खून रो रंग
संसार में एक व्है-
भूख री जात
०००
-कठै है रस्तो ?
लाध जासी मत्तैई
भचीड़ खायां
०००