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उद्योग / जय गोस्वामी

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ज़मीन छीन लेना ही, अहम काम !
मेरी हड्डी-पसली तोड़ेंगे, भइये?
आज से यही है गणतंत्र लोकतंत्र !आज से यही है गणतंत्र लोकतंत्र !
'''बांग्ला से अनुवाद : सुशील गुप्ता'''
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