"सीधी बात / जय गोस्वामी" के अवतरणों में अंतर
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उसी के सामने उसके बच्चे की दोनों टाँगे पकड़ | उसी के सामने उसके बच्चे की दोनों टाँगे पकड़ | ||
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जब तक वह सीधे-सीधे चिर न जाए | जब तक वह सीधे-सीधे चिर न जाए | ||
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इसे कहते हैं सीधी बात । इसी का नाम है ताक़त दिखाना ! | इसे कहते हैं सीधी बात । इसी का नाम है ताक़त दिखाना ! | ||
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15:27, 29 अक्टूबर 2011 के समय का अवतरण
("किसकी कितनी ताक़त है अब देखेंगे । वे मैदान में उतर पड़े हैं । हम भी मैदान में उतरेंगे । देखते हैं किसकी कितनी ताक़त है... अतीत मेंभी ऐसी स्थिति हुई है। लेकिनभी हमारी ताक़त बहुत ज़्यादा है !"
रविवार 11 मार्च 2007 को कोलकाता के ब्रिगेड परेड ग्राउंड में 'पश्चिमबंग प्रादेशिक कृषक सभा' की सभा में पश्चिमी बंगाल के मुख्यमंत्री द्वारा दिए गए भाषण के अंश।)
गोली लगी गिर पड़ा । उठाने जा रही उसकी पत्नी
बन्दूक ताने धमक पड़ो । कहो- 'नहीं, नहीं उठाएगी'
कहो- 'जा यहाँ से, कहता हूँ हट जा'
फिर भी न माने तो
पति को उठाने वाले दोनों हाथों को गोली मारो सीधे
जो महिला बलात्कार में अड़चन डाल रही हो
उसकी जननेन्द्रियों में लाठी सीधे ठूँस दो
यंत्रणा में जब वह करे गुहार गरियाते हुए
उसी के सामने उसके बच्चे की दोनों टाँगे पकड़
दो तरफ़ खींचो,
खींचो,
जब तक वह सीधे-सीधे चिर न जाए
खींचो !
इसे कहते हैं सीधी बात । इसी का नाम है ताक़त दिखाना !
बांग्ला से अनुवाद : संजय भारती