भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"ध्रुवतारा / पद्मजा शर्मा" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=पद्मजा शर्मा |संग्रह=सदी के पार / पद...' के साथ नया पन्ना बनाया) |
आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) |
||
पंक्ति 9: | पंक्ति 9: | ||
कल रात | कल रात | ||
तुम्हारे माथे पर | तुम्हारे माथे पर | ||
− | चमक रहा था | + | चमक रहा था ध्रुवतारा |
कलाई में चाँद | कलाई में चाँद | ||
चेहरे पर सूरज का तेज | चेहरे पर सूरज का तेज |
15:39, 2 नवम्बर 2011 के समय का अवतरण
कल रात
तुम्हारे माथे पर
चमक रहा था ध्रुवतारा
कलाई में चाँद
चेहरे पर सूरज का तेज
आँखों में उतरा था आकाश
तुम चल रही थी लहरों-सी
गुनगुनाती हुई वह गीत
जो मैं लिख रहा था
तुम्हें देखकर
कल रात।