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"ढोल की आवाज़ / निशान्त" के अवतरणों में अंतर
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15:22, 7 नवम्बर 2011 का अवतरण
उदास पसरा था
रात को मैं अपने बिस्तर पर
सोच रहा था
विषाक्त हो चुके
वातावरण पर
तभी दूर
कच्ची बस्ती से
आई ढोल की आवाज़
जो ले गई मुझे
अपने बचपन के गाँव में
इधर बहुत दिन हो गए थे मुझे
बचपन के गाँव को याद किए हुए
मैंने मन ही मन में
ढोल की आवाज़ को
धन्यवाद दिया
और सो गया !