भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"आँधियों का सफ़र / ”काज़िम” जरवली" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=काज़िम जरवली |संग्रह= }} {{KKCatGhazal}} <poem>मै ...' के साथ नया पन्ना बनाया) |
(कोई अंतर नहीं)
|
19:58, 8 नवम्बर 2011 के समय का अवतरण
मै लाख सच था, मगर सच पा ध्यान देता कौन,
बिकी हुई थीं ज़बाने बयान देता कौन ।
जब आँधियों ने किया था हमारे घर का सफ़र,
सभी थे महवे तमाशा अज़ान देता कौन ।
न रंगता अपना ही चेहरा तो और क्या करता,
हमारे खून को "काज़िम" अमान देता कौन । ---काज़िम जरवली