भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"आपकी याद आती रही रात भर / पुरुषोत्तम अब्बी "आज़र"" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
 
पंक्ति 5: पंक्ति 5:
 
{{KKCatGhazal}}
 
{{KKCatGhazal}}
 
<poem>
 
<poem>
 +
मख़दूम मोहिउद्दीन और फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ को समर्पित
  
 
आपकी याद आती रही रात भर
 
आपकी याद आती रही रात भर

12:18, 18 नवम्बर 2011 के समय का अवतरण

मख़दूम मोहिउद्दीन और फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ को समर्पित

आपकी याद आती रही रात भर
नींद नखरे दिखाती रही रात भर

अक्स दीपक का दरिया में पड़ता रहा
रौशनी झिलमिलाती रही रात भर

चाँद उतरा हो आँगन में जैसे मेरे
शब निगाहों को भाती रही रात भर

मैने तुझको भुलाया तो दिल से मगर
याद सीना जलाती रही रात भर

वो मिला ही कहाँ और चला भी गया
बस हवा दर हिलाती रही रात भर