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"हाल दिल का अपने घर में तुम सुना कर देखो/पुरुषोत्तम अब्बी "आज़र"" के अवतरणों में अंतर

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10:01, 19 नवम्बर 2011 के समय का अवतरण

हाल दिल का अपने घर में तुम सुना कर देखो
जान उन लोगों से फिर अपनी बचा कर देखो

चूम लेंगे बढ़ के इन हाथों को दुनिया वाले
काम सच्चे मन से दुखियों के भी आ कर देखो

तीर सीधा है लगेगा अब निशाने पर ही
डोर को खींचो कमाँ पर तो चढ़ा कर देखो

इश्क की राहें नहीं होतीं हैं आसाँ फिर भी
अपने कदमों को सफ़र में आज़मा कर देखो

साफ तुमको भी दिखाई देगा इन आँखों से
धूल का पर्दा ज़रा "आज़र" हटा कर देखो