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"जब पानी सर से बहता है / आरसी प्रसाद सिंह" के अवतरणों में अंतर

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00:21, 26 नवम्बर 2011 के समय का अवतरण

तब कौन मौन हो रहता है?
जब पानी सर से बहता है।

चुप रहना नहीं सुहाता है,
कुछ कहना ही पड़ जाता है।
व्यंग्यों के चुभते बाणों को
कब तक कोई भी सहता है?
जब पानी सर से बहता है।

अपना हम जिन्हें समझते हैं।
जब वही मदांध उलझते हैं,
फिर तो कहना पड़ जाता ही,
जो बात नहीं यों कहता है।
जब पानी सर से बहता है।

दुख कौन हमारा बाँटेगा
हर कोई उल्टे डाँटेगा।
अनचाहा संग निभाने में
किसका न मनोरथ ढहता है?
जब पानी सर से बहता है।