भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"मेरी तरह / नंदकिशोर आचार्य" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) |
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) |
||
पंक्ति 13: | पंक्ति 13: | ||
आकाश के कानों में | आकाश के कानों में | ||
− | + | गूँजा ही करती सब समय | |
सन्नाटों की पुकार | सन्नाटों की पुकार | ||
14:21, 26 नवम्बर 2011 का अवतरण
सीने में गहरे
सूखी धरती के
बहती रहती है जलधार
सदा बसा रहता है
अपनी स्मृतियों में
उजाड़
आकाश के कानों में
गूँजा ही करती सब समय
सन्नाटों की पुकार
इन सबने क्या
मेरी तरह
किया था कभी
तुम से प्यार?
17 जनवरी 2010