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16:56, 27 नवम्बर 2011 के समय का अवतरण

 
ये खबर छपवा दो अखबार में पोस्टर लगवा दो बाज़ार में
एक लड़का एक लड़की एक लड़का एक लड़की
हाय हाय दोनों पागल हो गए प्यार में
ये खबर छपवा दो ...

नींद नहीं आती आँखों में जब से आँख लड़ी है
मैं भी हूँ बेताब बड़ा तू भी बेचैन बड़ी है
तेरे मेरे बीच ज़माने की दीवार खड़ी है
आ ढूंढें कोई खिड़की दरवाज़ा इस दीवार में
ये खबर छपवा दो ...

हम दोनों हैं यार कंवारे निकली सौ बारातें
दिल के अन्दर ही न रह जाएं दिल की यह बातें
थोड़े से हैं प्यार के दिन थोड़ी सी प्यार की रातें
यह न हो मर जाएं हम दोनों इंतज़ार में
ये खबर छपवा दो ...

प्यार के दुश्मन दुनिया वाले कर लें जो है करना
चुपके चुपके थाम के दिल ठंडी आहें क्या भरना
प्यार किया तो थोड़ी सी बदनामी से क्या डरना
काँटे भी होते हैं यहां फूलों के हार में
ये खबर छपवा दो ...