"किस लिये मैंने प्यार किया / आनंद बख़्शी" के अवतरणों में अंतर
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=आनंद बख़्शी }} {{KKCatGeet}} <poem> किस लिये मैं ...' के साथ नया पन्ना बनाया) |
|||
पंक्ति 33: | पंक्ति 33: | ||
बड़ गई और ज़्यादा | बड़ गई और ज़्यादा | ||
प्यार में धोका न खा जाए | प्यार में धोका न खा जाए | ||
− | ये मन सीधा | + | ये मन सीधा-सादा |
ऐसा न हो झूठा निकले | ऐसा न हो झूठा निकले | ||
आज मिलन का वादा | आज मिलन का वादा |
16:44, 29 नवम्बर 2011 के समय का अवतरण
किस लिये मैं ने प्यार किया
दिल को यूँही बेक़रार किया
शाम सवेरे तेरी राह देखी
रात दिन इंतज़ार किया
किस लिये मैं ने प्यार किया
दिल को यूँही बेक़रार किया
शाम सवेरे तेरी राह देखी
रात दिन इंतज़ार किया
आँखों में मैं ने काजल डाला
माथे पे बिंदिया लगाई
ऐसे में तू आ जाए तो
क्या हो, राम दुहाई
छुप के मुंह में अर्मानों ने
ली कैसी अंगड़ाई
कोई देखे तो क्या समझे
हो जाए रुस्वाई
मैं ने क्यों सिंग़ार किया
दिल को यूँ बेक़रार किया
शाम सवेरे तेरी राह देखी
रात दिन इंतज़ार किया, हो...
किस लिये मैं ने प्यार किया
आज वो दिन है, जिसके लिये मैं
तड़पी बनके राधा
आज मेरे मन की बचैनी
बड़ गई और ज़्यादा
प्यार में धोका न खा जाए
ये मन सीधा-सादा
ऐसा न हो झूठा निकले
आज मिलन का वादा
मैं ने क्यों ऐतबार किया
दिल को यूँही बेक़रार किया
शाम सवेरे तेरी राह देखी
रात दिन इंतज़ार किया, हो...
किस लिये मैं ने प्यार किया
दिल को यूँही बेक़रार किया
शाम सवेरे तेरी राह देखी
रात दिन इंतज़ार किया, हो...
किस लिये मैं ने प्यार किया