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"ज़िहाल-ए मिस्कीं मकुन तगाफ़ुल / अमीर खुसरो" के अवतरणों में अंतर

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जे हाले मिसकी मकुल तगाफुल
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<p>ज़िहाल-ए मिस्कीं मकुन तगाफ़ुल,</p>
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<p>दुराये नैना बनाये बतियां |</p>
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<p>कि ताब-ए-हिजरां नदारम ऎ जान,</p>
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<p>न लेहो काहे लगाये छतियां ||</p>
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<p>शबां-ए-हिजरां दरज़ चूं ज़ुल्फ़</p>
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<p>वा रोज़-ए-वस्लत चो उम्र कोताह,</p>
  
दुराये नैना बनाय बतियां
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<p>सखि पिया को जो मैं न देखूं</p>
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<p>तो कैसे काटूं अंधेरी रतियां ||</p>
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<p>यकायक अज़ दिल, दो चश्म-ए-जादू</p>
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<p>ब सद फ़रेबम बाबुर्द तस्कीं,</p>
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<p>किसे पडी है जो जा सुनावे</p>
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<p>पियारे पी को हमारी बतियां ||</p>
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<p>चो शमा सोज़ान, चो ज़र्रा हैरान</p>
  
 
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<p>हमेशा गिरयान, बे इश्क आं मेह |</p>
कि ताबे गिजां दारम, ऐजां
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<p>नींद नैना, ना अंग चैना</p>
 
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<p>ना आप आवें, भेजें पतियां ||</p>
लेहू काहे लगाए छतियां ॥
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<p>बहक्क-ए-रोज़े, विसाल-ए-दिलबर</p>
 
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<p>कि दाद मारा, गरीब खुसरौ |</p>
शबाने हिजां दाज यूं व रोजे ।
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<p>सपेट मन के, वराये राखूं</p>
 
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<p>जो जाये पांव, पिया के खटियां ||</p>
वसतल चू इम्र कोतह ।
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सखी, पिया तो जो मैं न देखूं तो
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कैसे काटूं अन्धेरी रतियां ॥
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20:41, 23 नवम्बर 2007 का अवतरण


ज़िहाल-ए मिस्कीं मकुन तगाफ़ुल,

दुराये नैना बनाये बतियां |

कि ताब-ए-हिजरां नदारम ऎ जान,

न लेहो काहे लगाये छतियां ||


शबां-ए-हिजरां दरज़ चूं ज़ुल्फ़

वा रोज़-ए-वस्लत चो उम्र कोताह,

सखि पिया को जो मैं न देखूं

तो कैसे काटूं अंधेरी रतियां ||


यकायक अज़ दिल, दो चश्म-ए-जादू

ब सद फ़रेबम बाबुर्द तस्कीं,

किसे पडी है जो जा सुनावे

पियारे पी को हमारी बतियां ||


चो शमा सोज़ान, चो ज़र्रा हैरान

हमेशा गिरयान, बे इश्क आं मेह |

न नींद नैना, ना अंग चैना

ना आप आवें, न भेजें पतियां ||


बहक्क-ए-रोज़े, विसाल-ए-दिलबर

कि दाद मारा, गरीब खुसरौ |

सपेट मन के, वराये राखूं

जो जाये पांव, पिया के खटियां ||