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"लाल रंग बरसत चारों ओर / शिवदीन राम जोशी" के अवतरणों में अंतर

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लाल रंग बरसत चारों ओर। नंदगोपाल राधिका जय-जय, नांचे नंद किशोर। वृंदावन बृजधाम धाम में, शुभ वसंत बस रही श्याम में, हरियाली छाई मनमोहन, देखो तो हर ठौर। वृजबाला गोपी व गवाला, रंग रंग का ओढ़ दुसाला, यमुना तट पर गायरहे सब, होकर प्रेम विभोर। लहरों में श्यामा लहराई, बंसी श्यामा श्याम बजाई, कहे शिवदीन रसिक जन साधू, मधुरे बोले मोर। रंग गुलाल उडाने वारे, श्रीराधा के हो तुम प्यारे, पूरण ब्रह्म रसिला कृष्णा, मन मोहक चित चोर।