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"आदमी बुलबुला है / गुलज़ार" के अवतरणों में अंतर

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('आदमी बुलबुला है पानी का<br /> और पानी की बहती सतह पर टूटत...' के साथ नया पन्ना बनाया)
 
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03:51, 13 दिसम्बर 2011 के समय का अवतरण

आदमी बुलबुला है पानी का
और पानी की बहती सतह पर टूटता भी है, डूबता भी है,
फिर उभरता है, फिर से बहता है,
न समंदर निगला सका इसको, न तवारीख़ तोड़ पाई है,
वक्त की मौज पर सदा बहता आदमी बुलबुला है पानी का।