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"दिल में ऐसे ठहर गए हैं ग़म / गुलज़ार" के अवतरणों में अंतर

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16:47, 13 दिसम्बर 2011 के समय का अवतरण

दिल में ऐसे ठहर गए हैं ग़म
जैसे जंगल में शाम के साये
जाते-जाते सहम के रुक जाएँ
मुडके देखे उदास राहों पर
कैसे बुझते हुए उजालों में
दूर तक धूल ही धूल उडती है