भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"रमजानी ! दे पानी !! / रमेश रंजक" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रमेश रंजक |संग्रह=मिट्टी बोलती है /...' के साथ नया पन्ना बनाया) |
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) |
||
पंक्ति 18: | पंक्ति 18: | ||
जो भी टकराया है, हारा है | जो भी टकराया है, हारा है | ||
अभिमानी ! दे पानी ! | अभिमानी ! दे पानी ! | ||
− | + | रमजानी ! दे पानी !! | |
</poem> | </poem> |
22:43, 14 दिसम्बर 2011 के समय का अवतरण
ये बंजर धरती है, दे पानी !
रमजानी ! दे पानी !!
जेठ की
परेवट यह व्यर्थ नहीं जाएगी
आएगी नई फ़सल आएगी
मनमानी ! दे पानी !
पानी ने
पत्थर को, लोहे को, मारा है
जो भी टकराया है, हारा है
अभिमानी ! दे पानी !
रमजानी ! दे पानी !!