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"खुल गई नाव / अज्ञेय" के अवतरणों में अंतर

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14:53, 17 दिसम्बर 2011 का अवतरण

खुल गई नाव
घिर आई संझा, सूरज
डूबा सागर-तीरे।

धुंधले पड़ते से जल-पंछी
भर धीरज से
मूक लगे मंडराने,
सूना तारा उगा
चमक कर
साथी लगा बुलाने।

तब फिर सिहरी हवा
लहरियाँ काँपीं
तब फिर मूर्छित
व्यथा विदा की
जागी धीरे-धीरे।