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नारी बिचारी है | नारी बिचारी है |
20:52, 17 दिसम्बर 2011 के समय का अवतरण
नारी बिचारी है
पुरूष की मारी है
तन से क्षुधित है
मन से मुदित है
लपककर झपककर
अन्त में चित है
(1954)