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"सुकवि की मुश्किल / रघुवीर सहाय" के अवतरणों में अंतर
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ये और आया है एक हल्ला, जो बच सकें तो कहो कि बचिए | ये और आया है एक हल्ला, जो बच सकें तो कहो कि बचिए | ||
जो बच न पायें तो क्या करूँ मैं, जो बच गये तो बहुत समझिए | जो बच न पायें तो क्या करूँ मैं, जो बच गये तो बहुत समझिए | ||
सुकवि की मुश्किल को कौन समझे, सुकवि की मुश्किल सुकवि की मुश्किल | सुकवि की मुश्किल को कौन समझे, सुकवि की मुश्किल सुकवि की मुश्किल | ||
− | किसी ने उनसे नहीं कहा था कि आइए आप काव्य | + | किसी ने उनसे नहीं कहा था कि आइए आप काव्य रचिए । |
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20:55, 17 दिसम्बर 2011 के समय का अवतरण
ये और आया है एक हल्ला, जो बच सकें तो कहो कि बचिए
जो बच न पायें तो क्या करूँ मैं, जो बच गये तो बहुत समझिए
सुकवि की मुश्किल को कौन समझे, सुकवि की मुश्किल सुकवि की मुश्किल
किसी ने उनसे नहीं कहा था कि आइए आप काव्य रचिए ।
(1959)