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|रचनाकार=भारत भूषण
}}
[[Category:गीत]]{{KKCatGeet}}<poem>सौ-सौ जनम प्रतीक्षा कर लूंलूँप्रिय मिलने का वचन भरो तो!
पलकों -पलकों शूल बुहारूंबुहारूँअंसुअन अँसुअन सींचू सौरभ गलियांगलियाँभंवरों भँवरों पर पहरा बिठला दूंदूँकहीं न जूठी कर दें कलियांकलियाँ
फूट पडे पतझर से लाली
तुम अरुणारे चरन धरो तो!
रात न मेरी दूध नहाई
काया का रंगीन दुशाला
जीवन सिंदूरी हो जाए
तुम चितवन की किरन करो तो!
सूरज को अधरों पर धर लूंलूँकाजल कर आंजूं अंधियारीआँजूँ अँधियारी
युग-युग के पल छिन गिन-गिनकर
बाट निहारूं निहारूँ प्राण तुम्हारीसांसों साँसों की जंजीरें तोडंजंज़ीरें तोड़ूँ
तुम प्राणों की अगन हरो तो
 
 
</poem>
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