भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"सौ-सौ जनम प्रतीक्षा कर लूं / भारत भूषण" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
 
पंक्ति 3: पंक्ति 3:
 
|रचनाकार=भारत भूषण  
 
|रचनाकार=भारत भूषण  
 
}}
 
}}
[[Category:गीत]]
+
{{KKCatGeet}}
<poem>सौ-सौ जनम प्रतीक्षा कर लूँ
+
<poem>
 +
सौ-सौ जनम प्रतीक्षा कर लूँ
 
प्रिय मिलने का वचन भरो तो !
 
प्रिय मिलने का वचन भरो तो !
  

14:13, 18 दिसम्बर 2011 के समय का अवतरण

सौ-सौ जनम प्रतीक्षा कर लूँ
प्रिय मिलने का वचन भरो तो !

पलकों-पलकों शूल बुहारूँ
अँसुअन सींचू सौरभ गलियाँ
भँवरों पर पहरा बिठला दूँ
कहीं न जूठी कर दें कलियाँ
फूट पडे पतझर से लाली
तुम अरुणारे चरन धरो तो !

रात न मेरी दूध नहाई
प्रात न मेरा फूलों वाला
तार-तार हो गया निमोही
काया का रंगीन दुशाला
जीवन सिंदूरी हो जाए
तुम चितवन की किरन करो तो !

सूरज को अधरों पर धर लूँ
काजल कर आँजूँ अँधियारी
युग-युग के पल छिन गिन-गिनकर
बाट निहारूँ प्राण तुम्हारी
साँसों की जंज़ीरें तोड़ूँ
तुम प्राणों की अगन हरो तो