भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"यादें बीमार / रमेश रंजक" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रमेश रंजक |संग्रह=गीत विहग उतरा / रम...' के साथ नया पन्ना बनाया) |
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) |
||
पंक्ति 7: | पंक्ति 7: | ||
<poem> | <poem> | ||
फिर लम्बे लान में उतर आई | फिर लम्बे लान में उतर आई | ||
− | + | छोटे पाँवों वाली रात । | |
जैसे-तैसे काटा दिन | जैसे-तैसे काटा दिन | ||
पंक्ति 15: | पंक्ति 15: | ||
नीले वातास पर उभर आए | नीले वातास पर उभर आए | ||
− | + | अनसुलझे कई सवालात । | |
</poem> | </poem> |
11:40, 19 दिसम्बर 2011 का अवतरण
फिर लम्बे लान में उतर आई
छोटे पाँवों वाली रात ।
जैसे-तैसे काटा दिन
अपने को तोड़-मोड़ कर
खिसक गईं सिरहाने से
यादें बीमार छोड़ कर
नीले वातास पर उभर आए
अनसुलझे कई सवालात ।