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"एक दिन / नीलाभ" के अवतरणों में अंतर

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हाँ, एक दिन
 
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कौन-सा रास्ता
 
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इस नरक के बाहर जाता है
 
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एक दिन
 
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वे अपनी मज़बूत टांगों पर
 
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खड़े होकर कहेंगे :
 
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हम जा रहे हैं
 
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वे तुम्हारा तख़्त
 
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(रचनाकाल : 1977)
 
(रचनाकाल : 1977)

14:54, 19 दिसम्बर 2011 के समय का अवतरण

एक दिन
हाँ, एक दिन
वे खड़े होकर पूछेंगे :
कौन-सा रास्ता
इस नरक के बाहर जाता है
एक दिन
वे अपनी मज़बूत टांगों पर
खड़े होकर कहेंगे :
हम जा रहे हैं
एक दिन
वे तुम्हारा तख़्त
उठा कर पलट देंगे
और तुम उन्हें रोक नहीं सकोगे

(रचनाकाल : 1977)