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"आलोक हो जितना / नंदकिशोर आचार्य" के अवतरणों में अंतर
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12:33, 23 दिसम्बर 2011 के समय का अवतरण
कितना उदास फीका रहता है
वह
न हो आलोक जो
उस पर
आलोक हो जितना
उतना ख़ुद को खोता जाता है
रँग
क्या करे लेकिन रँग—
खो जाना ही
ख़ुद को पाना हो जब ?
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11 जनवरी 2010