"साथी हाथ बढ़ाना / साहिर लुधियानवी" के अवतरणों में अंतर
Sandeep Sethi (चर्चा | योगदान) छो |
|||
पंक्ति 3: | पंक्ति 3: | ||
|रचनाकार=साहिर लुधियानवी | |रचनाकार=साहिर लुधियानवी | ||
}} | }} | ||
+ | {{KKCatGeet}} | ||
<poem> | <poem> | ||
+ | साथी हाथ बढ़ाना, साथी हाथ बढ़ाना | ||
+ | एक अकेला थक जायेगा मिल कर बोझ उठाना | ||
साथी हाथ बढ़ाना | साथी हाथ बढ़ाना | ||
− | |||
− | |||
− | हम | + | हम मेहनतवालों ने जब भी मिलकर कदम बढ़ाया |
− | सागर ने | + | सागर ने रस्ता छोड़ा पर्वत ने शीश झुकाया |
− | फ़ौलादी हैं सीने अपने | + | फ़ौलादी हैं सीने अपने फ़ौलादी हैं बाहें |
− | हम चाहें तो चट्टानों में | + | हम चाहें तो पैदा करदें, चट्टानों में राहें, |
− | साथी हाथ | + | साथी हाथ बढ़ाना |
− | मेहनत | + | मेहनत अपनी लेख की रेखा मेहनत से क्या डरना |
− | कल गैरों की खातिर की | + | कल गैरों की खातिर की अब अपनी खातिर करना |
− | अपना दुख भी एक है साथी | + | अपना दुख भी एक है साथी अपना सुख भी एक |
− | अपनी | + | अपनी मंजिल सच की मंजिल अपना रस्ता नेक, |
− | साथी हाथ | + | साथी हाथ बढ़ाना |
− | एक से एक मिले तो कतरा | + | एक से एक मिले तो कतरा बन जाता है दरिया |
− | एक से एक मिले तो ज़र्रा | + | एक से एक मिले तो ज़र्रा बन जाता है सेहरा |
− | एक से एक मिले तो राई | + | एक से एक मिले तो राई बन सकती है पर्वत |
− | एक से एक मिले तो | + | एक से एक मिले तो इन्सान बस में कर ले किस्मत, |
− | साथी हाथ | + | साथी हाथ बढ़ाना |
+ | |||
+ | माटी से हम लाल निकालें मोती लाएँ जल से | ||
+ | जो कुछ इस दुनिया में बना है बना हमारे बल से | ||
+ | कब तक मेहनत के पैरों में ये दौलत की ज़ंज़ीरें | ||
+ | हाथ बढ़ाकर छीन लो अपने सपनों की तस्वीरें, | ||
+ | साथी हाथ बढ़ाना | ||
</poem> | </poem> |
17:37, 24 दिसम्बर 2011 का अवतरण
साथी हाथ बढ़ाना, साथी हाथ बढ़ाना
एक अकेला थक जायेगा मिल कर बोझ उठाना
साथी हाथ बढ़ाना
हम मेहनतवालों ने जब भी मिलकर कदम बढ़ाया
सागर ने रस्ता छोड़ा पर्वत ने शीश झुकाया
फ़ौलादी हैं सीने अपने फ़ौलादी हैं बाहें
हम चाहें तो पैदा करदें, चट्टानों में राहें,
साथी हाथ बढ़ाना
मेहनत अपनी लेख की रेखा मेहनत से क्या डरना
कल गैरों की खातिर की अब अपनी खातिर करना
अपना दुख भी एक है साथी अपना सुख भी एक
अपनी मंजिल सच की मंजिल अपना रस्ता नेक,
साथी हाथ बढ़ाना
एक से एक मिले तो कतरा बन जाता है दरिया
एक से एक मिले तो ज़र्रा बन जाता है सेहरा
एक से एक मिले तो राई बन सकती है पर्वत
एक से एक मिले तो इन्सान बस में कर ले किस्मत,
साथी हाथ बढ़ाना
माटी से हम लाल निकालें मोती लाएँ जल से
जो कुछ इस दुनिया में बना है बना हमारे बल से
कब तक मेहनत के पैरों में ये दौलत की ज़ंज़ीरें
हाथ बढ़ाकर छीन लो अपने सपनों की तस्वीरें,
साथी हाथ बढ़ाना