भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"गाँधीजी के बन्दर तीन / बालस्वरूप राही" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=बालस्वरूप राही |संग्रह= }} {{KKCatGeet}} <poem> ग...' के साथ नया पन्ना बनाया) |
(कोई अंतर नहीं)
|
14:40, 27 दिसम्बर 2011 का अवतरण
गाँधीजी के बन्दर तीन,
सीख हमें देते अनमोल ।
बुरा दिखे तो दो मत ध्यान,
बुरी बात पर दो मत कान,
कभी न बोलो कड़वे बोल ।
याद रखोगे यदि यह बात ,
कभी नहीं खाओगे मात,
कभी न होगे डाँवाडोल ।
गाँधीजी के बन्दर तीन,
सीख हमें देते अनमोल ।