भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"अचानक दोस्ती करना, अचानक दुश्मनी करना / बालस्वरूप राही" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=बालस्वरूप राही |संग्रह= }} {{KKCatGeet}} <poem> अ...' के साथ नया पन्ना बनाया)
 
 
पंक्ति 4: पंक्ति 4:
 
|संग्रह=
 
|संग्रह=
 
}}
 
}}
{{KKCatGeet}}
+
{{KKCatGhazal‎}}
 
<poem>
 
<poem>
 
अचानक दोस्ती करना, अचानक दुश्मनी करना
 
अचानक दोस्ती करना, अचानक दुश्मनी करना

23:04, 27 दिसम्बर 2011 के समय का अवतरण

अचानक दोस्ती करना, अचानक दुश्मनी करना
ये उसका शौक है यारों सभी से दिल्लगी करना

सभी जज़्बात को दीवानगी की हद समझते हैं
ये ऐसा दौर है इसमें सँभल कर शायरी करना

अँधेरे आँधियाँ बनकर चिरागों को बुझाते हैं
बड़ा मुश्किल है दुनिया में ज़रा सी रौशनी करना

खिजाएँ ढूँढती फिरती हैं बाग़ों में बहारों को
न लब पर फूल महकाना, न आँखें शबनमी करना

वफ़ा के नाम पर ‘राही’ चलन है बेवफ़ाई का
न इसके नाम अपनी रूह की कोई ख़ुशी करना