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"लफ़्ज़ों की रोशनी / मख़्मूर सईदी" के अवतरणों में अंतर

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01:09, 31 दिसम्बर 2011 के समय का अवतरण

तेरे अल्फ़ाज़ घोर अंधेरे में
जुगनूओं की तरह चमकते हैं
इस चमक में तलाश करता हूँ
अपने भटके हुए ख़्यालों को
अपने खोए हुए वजूद को मैं