भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"सदस्य:Azad bhagat" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Azad bhagat (चर्चा | योगदान) छो (यह मेरा लेख है) |
Azad bhagat (चर्चा | योगदान) |
||
(इसी सदस्य द्वारा किया गया बीच का एक अवतरण नहीं दर्शाया गया) | |||
पंक्ति 1: | पंक्ति 1: | ||
− | [[जख्म ह्रदय के कुरेद रहा]] | + | --[[सदस्य:Azad bhagat|Azad bhagat]] 11:54, 7 जनवरी 2012 (CST)[[जख्म ह्रदय के कुरेद रहा]] |
<poem> | <poem> | ||
पंक्ति 16: | पंक्ति 16: | ||
</poem> | </poem> | ||
− | --[[सदस्य:Azad bhagat|Azad bhagat]] 13:01, 12 अक्टूबर 2011 (CDT)आजाद भगत | + | आजाद भगत--[[सदस्य:Azad bhagat|Azad bhagat]] 13:01, 12 अक्टूबर 2011 (CDT) |
+ | |||
+ | [[न जाने क्यूँ]] | ||
+ | |||
+ | <poem> | ||
+ | न जाने क्यूँ, | ||
+ | कभी आंसू बहाते है कभी वो खिल-खिलाते है , | ||
+ | हमें हमसे चुराकर वो हम ही से रूठ जाते है , | ||
+ | अधर से छेड़कर बाते वो नए किस्से बनाते है , | ||
+ | करके इशारे निगाहों से हम ही को आज़माते है , | ||
+ | न जाने क्यूँ. | ||
+ | </poem> | ||
+ | |||
+ | आजाद भगत--[[सदस्य:Azad bhagat|Azad bhagat]] 11:54, 7 जनवरी 2012 (CST) |
23:24, 7 जनवरी 2012 के समय का अवतरण
--Azad bhagat 11:54, 7 जनवरी 2012 (CST)जख्म ह्रदय के कुरेद रहा
आज मैं बैठा तन्हा सा
जख्म ह्रदय के कुरेद रहा
जज्बातों के कुछ बंधन है
जो देते मुझको उलझन है
उलझन में बैठा तन्हा सा
जख्म ह्रदय के कुरेद रहा
मैं भी कैसा दीवाना था
औरो में खुश रहता था
अपनों में बैठा तन्हा सा
जख्म ह्रदय के कुरेद रहा
आजाद भगत--Azad bhagat 13:01, 12 अक्टूबर 2011 (CDT)
न जाने क्यूँ,
कभी आंसू बहाते है कभी वो खिल-खिलाते है ,
हमें हमसे चुराकर वो हम ही से रूठ जाते है ,
अधर से छेड़कर बाते वो नए किस्से बनाते है ,
करके इशारे निगाहों से हम ही को आज़माते है ,
न जाने क्यूँ.
आजाद भगत--Azad bhagat 11:54, 7 जनवरी 2012 (CST)