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"जैसे एन्कू ने बुद्ध की मूर्ति बनाई / ज्यून तकामी" के अवतरणों में अंतर

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|संग्रह=पहाड़ पर चढ़ना चाहते हैं सब / ज्यून तकामी
 
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मैं वैसे ही कविता  
 
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लिखना चाहता हूँ
 
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जैसे एन्कू ने बुद्ध की मूर्ति बनाई
 
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मैं वैसे ही रिरियाना  
 
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चाहता हूँ कविता में
 
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जैसे कोई चोट खाया कुत्ता किंकियाता है
 
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चमकदार हों मेरी कविताएँ
 
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जैसे पीले-पीले चमकते हैं गेंदे के फूल
 
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मैं वैसी ही सरलता के साथ  
 
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लिखना चाहता हूँ कविताएँ
 
लिखना चाहता हूँ कविताएँ
 
 
जैसे उड़ते-उड़ते चिड़िया गिराती है बीट
 
जैसे उड़ते-उड़ते चिड़िया गिराती है बीट
 
  
 
और कभी-कभी मैं इतनी ज़ोर से  
 
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कविताएँ पढ़ना चाहता हूँ
 
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जैसे गूँजती है सीटी जलयान की रवाना होने से पहले
 
जैसे गूँजती है सीटी जलयान की रवाना होने से पहले
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01:46, 8 जनवरी 2012 के समय का अवतरण

मुखपृष्ठ  » रचनाकारों की सूची  » रचनाकार: ज्यून तकामी  » संग्रह: पहाड़ पर चढ़ना चाहते हैं सब
»  जैसे एन्कू ने बुद्ध की मूर्ति बनाई

मैं वैसे ही कविता
लिखना चाहता हूँ
जैसे एन्कू ने बुद्ध की मूर्ति बनाई

मैं वैसे ही रिरियाना
चाहता हूँ कविता में
जैसे कोई चोट खाया कुत्ता किंकियाता है

मैं चाहता हूँ—
वैसी ही
चमकदार हों मेरी कविताएँ
जैसे पीले-पीले चमकते हैं गेंदे के फूल

मैं वैसी ही सरलता के साथ
लिखना चाहता हूँ कविताएँ
जैसे उड़ते-उड़ते चिड़िया गिराती है बीट

और कभी-कभी मैं इतनी ज़ोर से
कविताएँ पढ़ना चाहता हूँ
जैसे गूँजती है सीटी जलयान की रवाना होने से पहले