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"जीवन और मौत की सीमारेखा पर / ज्यून तकामी" के अवतरणों में अंतर

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सात सौ रंगों वाला
 
सात सौ रंगों वाला
 
हरा-लाल-नीला-पीला-रंगीला ।
 
हरा-लाल-नीला-पीला-रंगीला ।
 
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|रचनाकार=ज्यून तकामी
 
|संग्रह=पहाड़ पर चढ़ना चाहते हैं सब / ज्यून तकामी
 
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[[Category:जापानी भाषा]]
 
<poem>
 
सपने में दिखा मुझे एक जलयान
 
सफ़ेद था सफ़ेद पूरा वह जलवाहन ।
 
इतनी ख़ूबसूरत थीं उसकी शुभ्र पाखें
 
कि ख़ुशी से भर आई थीं मेरी आँखें ।।
 
 
तभी आ गया वहाँ भयानक तूफ़ान
 
सपने में डूब रहा था वह जलयान ।
 
अथाह गहरे सागर में डूब गया जो
 
मेरे सपनों में आता है आज भी वो ।।
 
  
 
'''रूसी से अनुवाद : अनिल जनविजय'''
 
'''रूसी से अनुवाद : अनिल जनविजय'''
 
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02:17, 8 जनवरी 2012 का अवतरण

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»  जीवन और मौत की सीमारेखा पर

क्या है वहाँ जीवन और मौत की सीमारेखा पर ?

युद्ध के दिनों की बात है यह घने जंगलों से गुज़र कर मैं पहुँच गया था वहाँ बर्मा और थाईलैंड की सीमा है जहाँ वहाँ कुछ भी ऎसा विशेष नहीं था सीमारेखा का कोई अवशेष नहीं था ।

मैं गुज़रा कई बार भूमध्य रेखा के पार देखा नहीं वहाँ भी कोई नया संसार सिर्फ़ समुद्र था विशाल, गहरा नीला अपार ।

बर्मा और थाइलैंड में थे सब एक से मनुष्य वर्षा के बाद आकाश में चमक रहा था इन्द्रधनुष ।

हो सकता है वहाँ भी उस मेखा पर जीवन और मौत की सीमारेखा पर इन्द्रधनुष हो कोई चमकीला सात सौ रंगों वाला हरा-लाल-नीला-पीला-रंगीला ।

रूसी से अनुवाद : अनिल जनविजय </poem>