भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"ईश्वरानंद / पुष्पिता" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) |
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) |
||
पंक्ति 21: | पंक्ति 21: | ||
सौंदर्य-सुख ! | सौंदर्य-सुख ! | ||
− | जीवन का विलक्षण | + | जीवन का विलक्षण आनन्द— प्रेम |
धर्म के लिए ईश्वरानंद है जो । | धर्म के लिए ईश्वरानंद है जो । | ||
</poem> | </poem> |
01:32, 9 जनवरी 2012 के समय का अवतरण
मैं तुम्हारे प्रेम का धान्य हूँ
और तुम
हृदय का विश्वास
तुम्हारी स्मृति-कुठले में
संचित उपजाए अन्न की तरह हूँ
अपनी अंत:सलिला में
रूपवान मछली की तरह
तैरने देना चाहते हो मुझे ।
तुम जीना चाहते हो मुझ में
प्रेम का सौंदर्य
और मैं पाना चाहती हूँ
सौंदर्य-सुख !
जीवन का विलक्षण आनन्द— प्रेम
धर्म के लिए ईश्वरानंद है जो ।