"मुक्तक / कुमार विश्वास" के अवतरणों में अंतर
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झूम रही है सारी दुनिया, जबकि हमारे गीतों पर, | झूम रही है सारी दुनिया, जबकि हमारे गीतों पर, | ||
− | तब कहती हो प्यार हुआ है, क्या अहसान तुम्हारा है | + | तब कहती हो प्यार हुआ है, क्या अहसान तुम्हारा है ||2|| |
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कतरा कतरा सागर तक तो ,जाती है हर उमर मगर , | कतरा कतरा सागर तक तो ,जाती है हर उमर मगर , | ||
− | बहता दरिया वापस मोड़े , उसका नाम मोहब्बत है | + | बहता दरिया वापस मोड़े , उसका नाम मोहब्बत है ||3|| |
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− | गिरेबां | + | गिरेबां चाक करना क्या है , सीना और मुश्किल है, |
हर एक पल मुश्कुराकर अश्क पीना और मुश्किल है | हर एक पल मुश्कुराकर अश्क पीना और मुश्किल है |
00:56, 10 जनवरी 2012 का अवतरण
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बस्ती बस्ती घोर उदासी पर्वत पर्वत खालीपन
मन हीरा बेमोल बिक गया घिस घिस रीता तन चंदन
इस धरती से उस अम्बर तक दो ही चीज़ गज़ब की है
एक तो तेरा भोलापन है एक मेरा दीवानापन ||1||
जिसकी धुन पर दुनिया नाचे, दिल एक ऐसा इकतारा है,
जो हमको भी प्यारा है और, जो तुमको भी प्यारा है.
झूम रही है सारी दुनिया, जबकि हमारे गीतों पर,
तब कहती हो प्यार हुआ है, क्या अहसान तुम्हारा है ||2||
जो धरती से अम्बर जोड़े , उसका नाम मोहब्बत है ,
जो शीशे से पत्थर तोड़े , उसका नाम मोहब्बत है ,
कतरा कतरा सागर तक तो ,जाती है हर उमर मगर ,
बहता दरिया वापस मोड़े , उसका नाम मोहब्बत है ||3||
बहुत टूटा बहुत बिखरा थपेडे सह नही पाया
हवाऒं के इशारों पर मगर मै बह नही पाया
रहा है अनसुना और अनकहा ही प्यार का किस्सा
कभी तुम सुन नही पायी कभी मै कह नही पाया ||4||
तुम्हारे पास हूँ लेकिन जो दूरी है समझता हूँ
तुम्हारे बिन मेरी हस्ती अधूरी है समझता हूँ
तुम्हे मै भूल जाऊँगा ये मुमकिन है नही लेकिन
तुम्ही को भूलना सबसे ज़रूरी है समझता हूँ ||5||
पनाहों में जो आया हो तो उस पर वार करना क्या
जो दिल हारा हुआ हो उस पर फिर अधिकार करना क्या
मुहब्बत का मज़ा तो डूबने की कश्मकश मे है
हो गर मालूम गहराई तो दरिया पार करना क्या ||6||
समन्दर पीर का अन्दर है लेकिन रो नही सकता
ये आँसू प्यार का मोती है इसको खो नही सकता
मेरी चाहत को दुल्हन तू बना लेना मगर सुन ले
जो मेरा हो नही पाया वो तेरा हो नही सकता ||7||
पुकारे आँख में चढ़कर तो खू को खू समझता है,
अँधेरा किसको को कहते हैं ये बस जुगनू समझता है,
हमे तो चाँद तारों में भी तेरा रूप दिखता है,
मोहब्बत में नुमाइश को अदाएं तू समझता है ||8||
गिरेबां चाक करना क्या है , सीना और मुश्किल है,
हर एक पल मुश्कुराकर अश्क पीना और मुश्किल है
हमारी बदनसीबी ने हमे इतना सिखाया है,
किसी के इश्क में मरने से जीना और मुश्किल है ||9||