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"इन सलोनों की भाषा सीख लो / अजेय" के अवतरणों में अंतर

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('<poem> खिड़की के शीशों से बरफ की परतें खुरचते हुए दूर तू...' के साथ नया पन्ना बनाया)
 
 
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खिड़की के शीशों से बरफ़ की परतें खुरचते हुए
 
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दूर तूफान में कुछ सफ़ेद लोथों की तरह
खिड़की के शीशों से बरफ की परतें खुरचते हुए
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दूर तूफान में कुछ सफेद लोथों की तरह
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हिलते देखा था उन्हें
 
हिलते देखा था उन्हें
उलझे हुए गुत्थम गुत्था
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उलझे हुए गुत्थम-गुत्था
  
 
यह प्रणय हो सकता है
 
यह प्रणय हो सकता है
या फिर आखेट!
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कभी कुछ छोटे बड़े
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कभी कुछ छोटे-बड़े
 
पंजों के निशान दिख जाते हैं
 
पंजों के निशान दिख जाते हैं
 
उलझे हुए
 
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हड़प्पा की जटिल लिपियों जैसे......
 
हड़प्पा की जटिल लिपियों जैसे......
कहते हैं बड़ा कुछ दर्ज रहता है बरफ की सतह पर
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कहते हैं बड़ा कुछ दर्ज़ रहता है बरफ़ की सतह पर
 
बशर्ते कि आप को पढ़ना आता हो
 
बशर्ते कि आप को पढ़ना आता हो
 
यहाँ इन्ही आदिम भालुओं का साम्राज्य है
 
यहाँ इन्ही आदिम भालुओं का साम्राज्य है
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थक जाने पर सो जाते
 
थक जाने पर सो जाते
 
ये सलोने पढ़ाकू जीव ही बता सकते हैं, तुम्हे
 
ये सलोने पढ़ाकू जीव ही बता सकते हैं, तुम्हे
इस धरती के बरफ हो  जाने का इतिहास
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इस धरती के बरफ़ हो  जाने का इतिहास
  
 
फॉसिल की तरह ज़िन्दा बचा होगा  
 
फॉसिल की तरह ज़िन्दा बचा होगा  
 
अतल गहराईयों में जो  
 
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बस, तुम इनकी भाषा सीख लो।
 
बस, तुम इनकी भाषा सीख लो।
 
  
 
सुमनम, मार्च 2005
 
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14:29, 10 जनवरी 2012 के समय का अवतरण


खिड़की के शीशों से बरफ़ की परतें खुरचते हुए
दूर तूफान में कुछ सफ़ेद लोथों की तरह
हिलते देखा था उन्हें
उलझे हुए गुत्थम-गुत्था

यह प्रणय हो सकता है
या फिर आखेट !

कभी कुछ छोटे-बड़े
पंजों के निशान दिख जाते हैं
उलझे हुए
हड़प्पा की जटिल लिपियों जैसे......
कहते हैं बड़ा कुछ दर्ज़ रहता है बरफ़ की सतह पर
बशर्ते कि आप को पढ़ना आता हो
यहाँ इन्ही आदिम भालुओं का साम्राज्य है
जो परम ज्ञानी हैं
भूख लगने पर भोजन तलाशते
थक जाने पर सो जाते
ये सलोने पढ़ाकू जीव ही बता सकते हैं, तुम्हे
इस धरती के बरफ़ हो जाने का इतिहास

फॉसिल की तरह ज़िन्दा बचा होगा
अतल गहराईयों में जो
बस, तुम इनकी भाषा सीख लो।

सुमनम, मार्च 2005