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"विवाह -गीत - सोवत रहीं अटरिया झझक / अवधी" के अवतरणों में अंतर

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('<poem> सोवत रहीं अटरिया झझक उठ बैठीं मईया केकरे दुआरे बा...' के साथ नया पन्ना बनाया)
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22:21, 16 जनवरी 2012 का अवतरण

सोवत रहीं अटरिया झझक उठ बैठीं
मईया केकरे दुआरे बाजन बाजे केकर होत है बियाह
मईया जे बेटी बुलावैं गोद बैईठावें
हसि कै बोलैं बेटी तोहरे दुआरियां बाजन बाजे तुहरहि होत है बियाह
नाही सीख्यौ मोरी मईया गुन ग्रस्थापन नाही सीख्यौ राम रसोय
सास ननद मोरा भैया गरियैहैं मोरे बूते सहयू न जाय
सिख लेहू मोरी बेटी गुन ग्रस्थापन सिख लेहू राम रसोय
सास ननद तोहरी भैया गरियहियें ले लिहो अचरा पसार