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"दिल में न हो जुर्रत / निदा फ़ाज़ली" के अवतरणों में अंतर
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17:14, 17 जनवरी 2012 का अवतरण
दिल में न हो जुर्रत तो
मुहब्बत नहीं मिलती
खैरात में इतनी बड़ी
दौलत नहीं मिलती |
कुछ लोग यूँ ही शहर में
हमसे भी खफ़ा हैं
हर एक से अपनी भी
तबीयत नहीं मिलती |
देखा था जिसे मैंने
कोई और था शायद
वो कौन है जिससे तेरी
सूरत नहीं मिलती |
हँसते हुए चेहरों से है
बाज़ार की ज़ीनत
रोने की यहाँ वैसे भी
फुर्सत नहीं मिलती |
निकला करो ये शमा लिए
घर से भी बाहर
तन्हाई सजाने को
मुसीबत नहीं मिलती |