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"इन्सान में हैवान यहाँ भी है वहाँ भी / निदा फ़ाज़ली" के अवतरणों में अंतर
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यहाँ भी है वहाँ भी | | यहाँ भी है वहाँ भी | | ||
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+ | * देख तो दिल कि जाँ से उठता है, ये धुआँ सा कहाँ से उठता है--'मीर' |
13:05, 19 जनवरी 2012 का अवतरण
(पाकिस्तान से लौटने के बाद )
इन्सान में हैवान
यहाँ भी है वहाँ भी
अल्लाह निगहबान
यहाँ भी है वहाँ भी |
खूँख्वार दरिंदों के
फ़क़त नाम अलग हैं
शहरों में बयाबान
यहाँ भी है वहाँ भी |
रहमान की कुदरत हो
या भगवान की मूरत
हर खेल का मैदान
यहाँ भी है वहाँ भी |
हिन्दू भी मज़े में है
मुसलमाँ भी मज़े में
इन्सान परेशान
यहाँ भी है वहाँ भी |
उठता* है दिलो-जाँ से
धुआँ दोनों तरफ़ ही
ये 'मीर' का दीवान
यहाँ भी है वहाँ भी |
- देख तो दिल कि जाँ से उठता है, ये धुआँ सा कहाँ से उठता है--'मीर'