भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"उपलब्धि / नोमान शौक़" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) |
|||
(एक अन्य सदस्य द्वारा किये गये बीच के 2 अवतरण नहीं दर्शाए गए) | |||
पंक्ति 3: | पंक्ति 3: | ||
|रचनाकार=नोमान शौक़ | |रचनाकार=नोमान शौक़ | ||
}} | }} | ||
+ | {{KKCatKavita}} | ||
+ | <poem> | ||
− | + | मैं तो | |
− | + | बस झुंझलाना, ग़ुस्सा करना | |
+ | और चीख़ना जानता हूं | ||
+ | मुझसे मत पूछो | ||
+ | मेरी उपलब्धियों के बारे में | ||
− | + | मैं | |
− | + | मंत्री, अभिनेता | |
− | + | या क्रिकेट स्टार नहीं | |
− | + | मुझे इक़रार है | |
− | + | मैंने कोई शोध नहीं किया | |
− | + | मुझे विश्वास है | |
− | + | कोई मिसाइल, कोई बम | |
− | + | नहीं बनाया मैंने | |
− | + | यहाँ तक कि | |
− | + | किसी प्रकाशक ने नहीं छापी | |
+ | मेरी कोई किताब भी | ||
− | + | हाँ ! | |
− | + | देखा है मैंने | |
− | + | एक सहमी हुई औरत से छीनकर | |
+ | साल भर के बच्चे को | ||
+ | आग में झोंके जाते हुए | ||
+ | लेकिन | ||
+ | दूसरे तमाशबीनों की तरह | ||
+ | सो नहीं गया मैं चुपचाप | ||
+ | अपनी अन्तरात्मा का तकिया बनाकर | ||
+ | बल्कि चीख़ता रहा | ||
+ | चीख़ता रहा | ||
− | + | अगर | |
− | + | तुम जाग रहे हो | |
− | + | तो मेरी चीख़ ही | |
− | + | मेरी सबसे बड़ी उपलब्धि है ! | |
− | + | </poem> | |
− | + | ||
− | + | ||
− | + | ||
− | + | ||
− | + | ||
− | + | ||
− | + | ||
− | + | ||
− | + | ||
− | + | ||
− | + | ||
− | + | ||
− | + | ||
− | + | ||
− | + | ||
− | + | ||
− | + | ||
− | + | ||
− | + | ||
− | + | ||
− | + | ||
− | + | ||
− | + | ||
− | + | ||
− | + | ||
− | अगर | + | |
− | तुम जाग रहे हो | + | |
− | तो मेरी चीख़ ही | + | |
− | मेरी सबसे बड़ी उपलब्धि है !< | + |
18:47, 26 जनवरी 2012 के समय का अवतरण
मैं तो
बस झुंझलाना, ग़ुस्सा करना
और चीख़ना जानता हूं
मुझसे मत पूछो
मेरी उपलब्धियों के बारे में
मैं
मंत्री, अभिनेता
या क्रिकेट स्टार नहीं
मुझे इक़रार है
मैंने कोई शोध नहीं किया
मुझे विश्वास है
कोई मिसाइल, कोई बम
नहीं बनाया मैंने
यहाँ तक कि
किसी प्रकाशक ने नहीं छापी
मेरी कोई किताब भी
हाँ !
देखा है मैंने
एक सहमी हुई औरत से छीनकर
साल भर के बच्चे को
आग में झोंके जाते हुए
लेकिन
दूसरे तमाशबीनों की तरह
सो नहीं गया मैं चुपचाप
अपनी अन्तरात्मा का तकिया बनाकर
बल्कि चीख़ता रहा
चीख़ता रहा
अगर
तुम जाग रहे हो
तो मेरी चीख़ ही
मेरी सबसे बड़ी उपलब्धि है !