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वृन्दावनलाल वर्मा / परिचय

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जन्मदिवस 09 जनवरी पर विशेष
'''प्रेम और इतिहास को पुर्नसृजित करता साधक [[वृन्दावन लाल वृन्दावनलाल वर्मा ]]!'''
आलेखः-अशोक कुमार शुक्ला
हिन्दी साहित्य के '''‘वाल्टर स्कौट’''' कहे जाने वाले श्री [[वृन्दावन लाल वृन्दावनलाल वर्मा ]] का जन्म 9 जनवरी 1889 को मऊरानीपुर के ठेठ रूढिवादी कायस्थ परिवार में हुआ था। विक्टोरिया कालेज ग्वालियर से स्नातक तक की पढाई करने के लिये ये आगरा आये और आगरा कालेज से कानून की पढाई पूरी करने के बाद बुन्देलखंड (झांसी) में वकालत करने लगे। इन्हे बचपन से ही बुन्देलखंड की ऐतिहासिक विरासत में रूचि थी। जब ये उन्नीस साल के किशोर थे तो इन्होंने अपनी पहली रचना '''‘महात्मा बद्व का जीवन चरित’(1908)''' लिख डाली थी। उनके लिखे नाटक '''‘सेनापति ऊदल’(1909)''' में अभिव्यक्त विद्रोही तेवरों को देखते हुये तत्कालीन अंग्रजी सरकार ने इसी प्रतिबंधित कर दिया था।
इनकी प्रमुख रचनायंें रचनायें इस प्रकार हैंःहैं-{{वृंदावनलाल वर्मा का साहित्य}}
'''प्रमुख ऐतिहासिक उपन्यासः'''-गढ़ कुन्द(1927), विराट की पद्मिनी(1930), मुसाहिबजू(1943), झांसी की रानी(1946), कचनार(1947), माधवजी सिंन्धिया(1949), टूटे कांटे(1949), मृगनयनी(1950), भुवन विक्रम(1954), अहिल्या बाई(1955),
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